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जय नारी शक्ति

🌸 "नारी तू नारायणी" 🌸 नन्हे क़दमों से चलकर आई, संघर्षों की आग में तपकर छाई। कभी बेटी, कभी माँ बनकर, हर रूप में शक्ति की मिसाल बनाई। तू सीता भी, तू दुर्गा भी, तू ज्ञान की ज्योति, तू गर्जना भी। तेरे आँचल में चाँद-सितारे, तेरे दम से दुनिया सारे। तू चाह ले तो इतिहास बदल दे, अपने सपनों को आकाश बना दे। है तेरे भीतर आग की लहर, तू खुद को पहचान, कर सृजन नये शहर। रोकें चाहे लाख ज़माने के बंधन, तेरी उड़ान न रोके कोई बंदन। पढ़, बढ़, जाग, अब न रुकना, अपने हक़ के लिये हर राह पर चलना। 🕊️ अब तू अबला नहीं, तू सबला है, हर अन्याय पर तेरी तबला है। समानता की जोत जलाकर, तू बन जाए नव युग की ज़िंदा मिसाल, उजागर।  नारी न झुके, न रुके, न थमे, जो ठान ले, वो हर मंज़िल पा ले। अब वक्त है नारी को सम्मान देने का, हर कदम पर उसका साथ निभाने का। जय नारी, जय शक्ति! 💪

भारत का किसान

 मैं भारत का किसान हूँ... ना किसी अख़बार की हेडलाइन में आता हूँ, ना किसी मंत्री के भाषण में टिक पाता हूँ। मैं सुबह सूरज से पहले उठता हूँ, और दिन भर मिट्टी से बातें करता हूँ। कभी बरसात की मार झेलता हूँ, तो कभी सूखे से समझौता करता हूँ। मेरे पास ना AC है, ना आराम, फिर भी हर मौसम में उगाता हूँ हिंदुस्तान का काम। मेरी फसलें दूसरों की थाली सजाती हैं, पर मेरी थाली में कई बार भूख ही बचती है। कर्ज़ के बोझ से दबा रहता हूँ, और उम्मीदों की रस्सी पर रोज़ झूलता हूँ। सरकारी वादे तो बहुत मिलते हैं, पर मंडी में दाम नहीं, बस दर्द मिलते हैं। फिर भी मैं हारता नहीं, क्योंकि मेरे हाथों में हल है, और दिल में बल है। गाँव की गलियों में मेरा ख्वाब पलता है, और मेरा बच्चा जब “अफसर” बनने का सपना देखता है, तो थकान भी मुझे हौसला दे जाती है। मैं भारत का किसान हूँ… मिट्टी से बना, पर पत्थर से भी मज़बूत। ना रोया, ना रुका — क्योंकि मेरे बिना ये देश भूखा है। "मैं भारत का किसान हूँ..." खेत की सुबह, धुंध में किसान हल लेकर चलता हुआ "सूरज से पहले उठता हूँ..." अंधेरे में लालटेन जलाते किसान की छवि "फसले...