भारत में दहेज हत्या आखिर कब खत्म होगी? यह कुरीति।
भारत में दहेज हत्या कब खत्म होगी? – दहेज प्रथा जैसी कुरीति पर गहन विचार
भारत एक ऐसा देश है जहाँ संस्कृति, परंपराएँ और रिश्तों की गहराई दुनिया में मिसाल मानी जाती है। विवाह को यहाँ सिर्फ़ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का पवित्र बंधन समझा जाता है। लेकिन दुख की बात यह है कि इस पवित्र रिश्ते पर दहेज प्रथा (Dowry System) जैसी काली छाया आज भी बनी हुई है।
हर साल सैकड़ों बेटियाँ दहेज न मिलने पर जलायी जाती हैं, मारी जाती हैं या आत्महत्या करने पर मजबूर होती हैं। सवाल उठता है –“भारत में दहेज हत्या आखिर कब खत्म होगी?"
दहेज प्रथा की परम्परा
दहेज प्रथा की जड़ें भारत में बहुत पुरानी हैं। प्राचीन काल में इसे “कन्यादान” के साथ “वरदक्षिणा” कहा जाता था, जो कि स्वेच्छा से दिया जाने वाला तोहफ़ा था।
लेकिन धीरे-धीरे यह एक अनिवार्य प्रथा बन गई और शादी एक सामाजिक समझौते से ज़्यादा आर्थिक सौदेबाज़ी में बदल गई। आज हालात यह हैं कि पढ़ाई-लिखाई, नौकरी और आधुनिक सोच के बावजूद यह प्रथा समाज से खत्म नहीं हो पाई है।
दहेज हत्या के प्रमुख कारण
1. लालच और आर्थिक दबाव – कई लोग शादी को व्यवसाय की तरह देखते हैं और वरपक्ष दहेज की रकम, गाड़ी, मकान, जेवर आदि की माँग करता है।
2. सामाजिक प्रतिष्ठा का दिखावा – समाज में इज़्ज़त और रुतबे के लिए लोग दहेज में ज़्यादा से ज़्यादा देने की होड़ में लग जाते हैं।
3. कानून का सही पालन न होना – दहेज विरोधी क़ानून (Dowry Prohibition Act, 1961) होने के बावजूद इसका पालन ढीला है।
4. स्त्री की असमान स्थिति – पितृसत्तात्मक सोच अब भी बेटियों को बोझ समझती है।
5. शिक्षा की कमी– जागरूकता और सही शिक्षा न होने से यह कुरीति ग्रामीण ही नहीं शहरी समाज में भी जीवित है।
दहेज हत्या का सामाजिक और मानसिक प्रभाव
स्त्रियों की असुरक्षा – विवाह उनके लिए सपनों की शुरुआत न होकर भय का कारण बन जाता है।
पारिवारिक कलह – दहेज के कारण पति-पत्नी और परिवारों के बीच तनाव बढ़ता है।
आर्थिक बोझ – गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार अपनी बेटियों की शादी के लिए कर्ज़ में डूब जाते हैं।
सामाजिक असंतुलन – स्त्री–पुरुष अनुपात पर असर पड़ता है, क्योंकि कई परिवार बेटी के जन्म को ही बोझ मानने लगते हैं।
दहेज हत्या को रोकने के लिए कानून
भारत सरकार ने दहेज प्रथा और हत्या पर रोक लगाने के लिए कई क़ानून बनाए हैं –
1.दहेज निषेध अधिनियम, 1961 – दहेज की माँग, देना और लेना – तीनों अपराध हैं।
2.भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304B – दहेज हत्या को संज्ञेय अपराध मानकर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा का प्रावधान।
3. धारा 498A – विवाहिता स्त्री पर क्रूरता और उत्पीड़न को अपराध घोषित करता है।
4. घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 – महिलाओं को मानसिक और शारीरिक हिंसा से सुरक्षा देता है।
फिर भी, कानून केवल तब असरदार होंगे जब समाज में जागरूकता और सख़्त अमल हो।
दहेज प्रथा खत्म करने के उपाय
1.शिक्षा और जागरूकता – बेटियों को पढ़ाना, आत्मनिर्भर बनाना और लड़कों को भी यह सिखाना कि शादी में दहेज लेना अपराध है।
2.सख़्त कानूनी कार्रवाई – दहेज मांगने वाले परिवारों को तुरंत जेल भेजना और ऐसे मामलों में तेज़ी से सुनवाई करना।
3.समाज में सोच बदलना – बेटा-बेटी में भेदभाव मिटाना, शादी को सादगी से मनाना।
4.महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना – जब बेटियाँ नौकरी और कारोबार में आत्मनिर्भर होंगी, तो कोई उन्हें बोझ नहीं समझेगा।
5.मीडिया और सोशल मीडिया का उपयोग – फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और सोशल मीडिया के माध्यम से दहेज विरोधी संदेश फैलाना।
6.युवा पीढ़ी की भागीदारी – लड़के खुद दहेज न लेने की शपथ लें और दहेज मांगने वालों का बहिष्कार करें।
भारत में दहेज हत्या कब खत्म होगी?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। दहेज हत्या तभी खत्म होगी जब –
* हर परिवार यह तय करे कि वह शादी में दहेज नहीं लेगा।
* कानून का पालन सख़्ती से होगा।
* समाज में बेटियों को बराबरी का दर्जा मिलेगा।
* शिक्षा और जागरूकता हर वर्ग तक पहुँचेगी।
समाज बदलता है, लेकिन धीरे-धीरे। जिस दिन लड़का-लड़की दोनों पक्ष यह कह देंगे कि“हम दहेज नहीं लेंगे–न देंगे”उसी दिन से दहेज प्रथा और दहेज हत्या खत्म होने की शुरुआत हो जाएगी।
निष्कर्ष
दहेज हत्या सिर्फ़ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारे समाज के माथे पर कलंक है। यह हमारी सभ्यता और संस्कारों के विपरीत है।
अगर हम सच में भारत को प्रगतिशील और आधुनिक राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो हमें दहेज प्रथा जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करना होगा।
यह काम कानून, सरकार और अदालत अकेले नहीं कर सकते। इसके लिए हमें – हर परिवार, हर माता-पिता और हर युवा को अपनी सोच बदलनी होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
❓ दहेज हत्या क्या है?
👉 दहेज हत्या वह अपराध है जब विवाहिता स्त्री को उसके ससुराल वाले दहेज की मांग पूरी न होने पर प्रताड़ित करते हैं और उसकी मृत्यु कर दी जाती है।
❓ भारत में दहेज हत्या कब खत्म होगी?
👉 दहेज हत्या तब खत्म होगी जब समाज दहेज लेना–देना पूरी तरह छोड़ देगा, कानून का सख़्ती से पालन होगा और बेटियों को बराबरी का दर्जा मिलेगा।
❓ दहेज प्रथा को रोकने के लिए कौन से कानून बनाए गए हैं?
👉 भारत सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम 1961, IPC की धारा 304B और 498A, तथा घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 बनाए हैं।
❓ दहेज प्रथा खत्म करने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?
👉 शिक्षा और जागरूकता, बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना, सख़्त कानूनी कार्रवाई, समाज में सोच बदलना और युवाओं की भागीदारी सबसे बड़े उपाय हैं।
❓ क्या आधुनिक समय में भी दहेज प्रथा मौजूद है?
👉 हाँ, कानून होने के बावजूद दहेज प्रथा अब भी ग्रामीण और शहरी दोनों समाजों में दिखाई देती है, लेकिन जागरूकता के कारण धीरे-धीरे इसमें कमी आ रही है।
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