1. दीर्घकालिक योजना और स्थिर नीतियाँ
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चीन की सबसे बड़ी ताकत उसकी लंबी अवधि की योजना है।
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वहाँ सत्ता परिवर्तन होने पर भी आर्थिक दिशा में निरंतरता बनी रहती है।
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भारत में अक्सर राजनीतिक बदलाव के कारण योजनाओं में अस्थिरता आ जाती है।
सीख: भारत को भी शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लंबी अवधि की स्थिर नीति अपनानी होगी।
2. मैन्युफैक्चरिंग हब बनना
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चीन ने "दुनिया की फैक्ट्री" बनकर निर्यात-आधारित विकास मॉडल अपनाया।
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भारत अभी भी सर्विस सेक्टर (IT, BPO) पर ज्यादा निर्भर है।
सीख:
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भारत को "Make in India" को वास्तविक रूप से लागू करना होगा।
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MSME और बड़े उद्योगों को सस्ता बिजली, आसान लोन, और लॉजिस्टिक सुविधा देनी होगी।
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ग्रामीण युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर उत्पादन में लगाना होगा।
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चीन ने हाईवे, रेल, बंदरगाह और बिजली पर जबरदस्त निवेश किया।
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इसके कारण विदेशी निवेशक तुरंत आकर्षित हुए।
सीख: भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर क्वालिटी में सुधार करना होगा ताकि लॉजिस्टिक कॉस्ट कम हो और उद्योग प्रतिस्पर्धी बन सकें।
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3. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
चीन ने हाईवे, रेल, बंदरगाह और बिजली पर जबरदस्त निवेश किया।
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इसके कारण विदेशी निवेशक तुरंत आकर्षित हुए।
सीख: भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर क्वालिटी में सुधार करना होगा ताकि लॉजिस्टिक कॉस्ट कम हो और उद्योग प्रतिस्पर्धी बन सकें।
4. विदेशी निवेश आकर्षित करना
चीन ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) बनाकर निवेशकों को कर में छूट, जमीन, और सुगम प्रक्रियाएँ दीं।
भारत में अभी भी लालफीताशाही और जटिल नियम निवेशकों को डराते हैं।
चीन ने शुरुआत में तकनीक कॉपी की, लेकिन अब खुद इनोवेशन कर रहा है – 5G, AI, स्पेस टेक्नोलॉजी।
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भारत IT और डिजिटल पेमेंट्स में आगे है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी और रिसर्च में पीछे है।
चीन ने तेजी से ग्रामीण आबादी को शहरों में लाकर उद्योगों से जोड़ा।
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भारत में अभी भी 60% से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं।
चीन ने दुनिया भर के बाजारों को निशाना बनाया।
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भारत अभी भी घरेलू मांग पर ज्यादा निर्भर है।
चीन में फैसले तेजी से लागू होते हैं।
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भारत में नीति बनाने से लेकर लागू होने तक सालों लग जाते हैं।
चीन ने गरीबी उन्मूलन में तेजी दिखाई और करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया।
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भारत ने भी प्रगति की है, लेकिन अब भी असमानता बड़ी समस्या है।
चीन ने विकास तो किया लेकिन प्रदूषण और One Child Policy जैसी समस्याएँ झेल रहा है।
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भारत को तेजी से विकास करते समय इन गलतियों से बचना होगा।
सीख: भारत को निवेश माहौल और “Ease of Doing Business” में और सुधार लाना होगा।
5. शिक्षा और कौशल विकास (Human Capital)
• चीन ने करोड़ों युवाओं को बेसिक शिक्षा और टेक्निकल स्किल दी।
• इसके कारण उसका श्रमबल सस्ता ही नहीं बल्कि कुशल भी बना।
सीख: भारत की बड़ी जनसंख्या तभी लाभदायक होगी जब उसे शिक्षा + कौशल दोनों मिलेंगे।
6. तकनीक और नवाचार
सीख: भारत को R&D पर जीडीपी का बड़ा हिस्सा खर्च करना होगा और “स्टार्टअप से इनोवेशन” को बढ़ावा देना होगा।
7. शहरीकरण (Urbanisation)
सीख: भारत को योजनाबद्ध तरीके से छोटे और मध्यम शहरों को विकसित करना होगा ताकि वहाँ रोज़गार और उद्योग स्थापित हों।
8. निर्यात उन्मुख नीति
सीख: भारत को अपने उत्पादों की क्वालिटी और लागत पर ध्यान देकर निर्यात-आधारित विकास करना होगा।
9. प्रशासनिक दक्षता
सीख: भारत को ब्यूरोक्रेटिक देरी और भ्रष्टाचार को कम करना होगा।
10. सामाजिक विकास
सीख: भारत को समावेशी विकास (Inclusive Growth) सुनिश्चित करना होगा ताकि समाज के हर वर्ग को लाभ मिले।
11. पर्यावरण और जनसंख्या नीति
सीख: भारत को सतत विकास (Sustainable Development) पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
भारत और चीन दोनों में बहुत समानताएँ हैं, लेकिन चीन की आर्थिक उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि सही नीतियाँ, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, शिक्षा-तकनीक और स्थिर योजनाएँ किसी भी राष्ट्र को गरीबी से समृद्धि की ओर ले जा सकती हैं।
भारत के पास लोकतंत्र, युवा जनसंख्या और विशाल बाजार जैसी ताकत है। यदि हम चीन से सीखकर अपनी कमजोरियों को दूर करें, तो आने वाले दशकों में भारत न केवल चीन को टक्कर देगा बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृत्व भी कर सकता है।

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