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चीन की शिक्षा व्यवस्था: क्या इसी ने उसे महाशक्ति बना दिया?


दुनिया में अगर किसी देश ने शिक्षा को अपनी शक्ति और प्रगति का असली आधार बनाया है, तो वह चीन है। पिछले कुछ दशकों में चीन ने न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी बेमिसाल बदलाव किए हैं। आज चीन की शिक्षा व्यवस्था को समझना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यही उसकी तेज़ रफ़्तार तरक्की की असली कुंजी है। आइए जानते हैं इसका ऐतिहासिक सफर, सुधार और मौजूदा स्थिति

(Chinese School symbolic photo)


1. प्राचीन चीन की शिक्षा व्यवस्था

चीन की शिक्षा परंपरा हज़ारों साल पुरानी है।कन्फ्यूशियस (Confucius) दर्शन ने शिक्षा को नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारियों से जोड़ा।प्राचीन काल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य “नैतिक नागरिक” और “सुसंस्कृत प्रशासक” तैयार करना था।शिक्षा का केन्द्र परिवार और गुरुकुलनुमा विद्यालय थे, जहाँ बच्चे अनुशासन, सम्मान और सामूहिकता सीखते थे।

2. साम्राज्यकाल और सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली (Imperial Examination System)

चीन ने सबसे पहले सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली (Imperial Exam System) शुरू की, जिसे केजू प्रणाली कहा जाता है।इसका मकसद था—योग्य और विद्वान लोगों को प्रशासन में जगह देना।इस प्रणाली में साहित्य, दर्शन और कानून की पढ़ाई मुख्य थी।इसने शिक्षा को एक “प्रतिष्ठा और सत्ता प्राप्ति का माध्यम” बना दिया। यह परंपरा 1905 तक चलती रही और चीन की शिक्षा को लंबे समय तक प्रभावित करती रही।

3. औपनिवेशिक काल और 20वीं सदी की शुरुआत

19वीं सदी में पश्चिमी ताक़तों और जापान के प्रभाव के कारण चीन की पारंपरिक शिक्षा को चुनौती मिली।

विज्ञान और आधुनिक विषयों को शामिल करने की मांग बढ़ी।

1911 की शिन्हाई क्रांति के बाद, शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने की कोशिश हुई।

धीरे-धीरे पश्चिमी शिक्षा मॉडल से प्रेरणा लेकर चीन ने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों का ढांचा खड़ा करना शुरू किया।

4. कम्युनिस्ट चीन और शिक्षा सुधार (1949 के बाद)

1949 में जब माओ ज़ेदोंग के नेतृत्व में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना बनी, तब शिक्षा सुधार का नया दौर शुरू हुआ

शिक्षा का मकसद सिर्फ ज्ञान नहीं बल्कि समाजवादी विचारधारा फैलाना भी था।

शिक्षा को “सभी के लिए” सुलभ बनाने की नीति अपनाई गई।

गाँव-गाँव तक प्राथमिक शिक्षा पहुँचाई गई।

व्यावसायिक (Vocational) शिक्षा को बढ़ावा दिया गया ताकि लोग सीधे उद्योग और उत्पादन से जुड़ सकें।

हालाँकि, सांस्कृतिक क्रांति (1966–1976) के दौरान शिक्षा प्रणाली को भारी झटका लगा। विश्वविद्यालय बंद हुए और पढ़ाई से ज़्यादा राजनीतिक विचारधारा थोपने पर ध्यान दिया गया।

5. डेंग शियाओपिंग युग और आधुनिक शिक्षा की नींव (1978 के बाद)

1978 में डेंग शियाओपिंग ने आर्थिक सुधारों के साथ शिक्षा सुधारों की भी शुरुआत की।

उच्च शिक्षा संस्थानों को फिर से खोला गया।

विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर ज़ोर दिया गया।

विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग शुरू हुआ।

लाखों चीनी छात्रों को अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप भेजा गया ताकि वे आधुनिक तकनीक सीखकर लौटें।

यहीं से चीन की शिक्षा व्यवस्था ने वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति की नींव रखी।

6. आज का चीनी शिक्षा मॉडल

आज चीन की शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी और संगठित व्यवस्थाओं में से एक है।

(i) प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा

9 साल की अनिवार्य शिक्षा (6 साल प्राथमिक + 3 साल जूनियर सेकेंडरी)।

इसके बाद सीनियर हाई स्कूल या व्यावसायिक स्कूल का विकल्प।

सख्त अनुशासन, प्रतियोगिता और मेहनत इसका आधार है।

(ii) उच्च शिक्षा

चीन के पास आज दुनिया की कुछ बेहतरीन यूनिवर्सिटीज़ हैं जैसे – Tsinghua University, Peking University, Fudan University

लाखों छात्र हर साल Gaokao परीक्षा देते हैं (भारत के JEE/NEET जैसी बेहद कठिन परीक्षा)।

विदेशी शोध पत्रों, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर ज़ोर।

(iii) तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा

उद्योग और बाज़ार की ज़रूरतों के अनुसार Vocational Training पर गहरा ध्यान।

“मेड इन चाइना” से लेकर “इननोवेटेड इन चाइना” की ओर बढ़ने की रणनीति।

7. चीन की शिक्षा प्रणाली की ख़ासियतें

अनुशासन और मेहनत छात्र रोज़ाना लंबे घंटे पढ़ाई करते हैं।

प्रतिस्पर्धा – Gaokao जैसी परीक्षाएँ छात्रों को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करती हैं।

सरकारी निवेश – चीन शिक्षा पर GDP का बड़ा हिस्सा खर्च करता है।

टेक्नोलॉजी का उपयोग – स्मार्ट क्लास, AI, रोबोटिक्स और डिजिटल लर्निंग।

वैज्ञानिक शोध में बढ़त – आज चीन अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा शोध पत्र प्रकाशित करता है।

8. चुनौतियां भी कम नहीं

बच्चों पर अत्यधिक दबाव (तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ)।

ग्रामीण और शहरी शिक्षा में बड़ा अंतर।

“रटने” (rote learning) की प्रवृत्ति अभी भी मौजूद।

अकादमिक स्वतंत्रता पर सीमाएँ (विशेषकर राजनीतिक विषयों में)।

9. निष्कर्ष

चीन की शिक्षा व्यवस्था ने देश को कृषि प्रधान राष्ट्र से टेक्नोलॉजी सुपरपावर बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
प्राचीन कन्फ्यूशियस दर्शन से लेकर आधुनिक AI आधारित शिक्षा मॉडल तक—चीन ने लगातार अपने शिक्षा ढांचे को बदलते समय और ज़रूरतों के अनुसार ढाला है।

आज सवाल यह नहीं है कि चीन शिक्षा में कितना आगे बढ़ चुका है, बल्कि यह है कि क्या दुनिया के बाकी देश उसकी मेहनत, रणनीति और अनुशासन से कुछ सीख पाएँगे?


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