दक्षिण एशिया आज दुनिया का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। यहाँ मौजूद देश एक-दूसरे से न सिर्फ भौगोलिक रूप से जुड़े हैं, बल्कि उनकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक हालात भी गहरे प्रभाव डालते हैं। हाल ही में श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में जो राजनीतिक उथल-पुथल, विरोध-प्रदर्शन और तख्तापलट जैसी घटनाएँ हुईं, उन्होंने पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए।
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| (Zen Ji Protest in Nepal) |
भारत, जो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और क्षेत्रीय शक्ति है, इन घटनाओं से कई गहरी सीख ले सकता है। इस ब्लॉग में हम इन संकटों की पृष्ठभूमि, भारत पर इनके प्रभाव और भारत को सीखने योग्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
श्रीलंका: आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता
श्रीलंका 2022 में सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुज़रा। विदेशी मुद्रा खत्म हो गई, पेट्रोल-डीज़ल तक के लिए लंबी लाइनें लग गईं, महँगाई चरम पर पहुँची। जनता ने सड़कों पर उतरकर भारी विरोध किया और आखिरकार राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा।
भारत के लिए सबक:
1.आर्थिक नीतियों में संतुलन ज़रूरी है। सिर्फ़ कर्ज़ और दिखावटी विकास पर निर्भरता खतरनाक हो सकती है।
2.जनता से पारदर्शिता रखनी होगी
3.पड़ोसी देशों में अशांति भारत की सुरक्षा और सीमाओं पर सीधा असर डालती है।
भारत के लिए व्यापक सबक
1. आर्थिक अनुशासन और पारदर्शिता
भारत को यह समझना होगा कि श्रीलंका जैसे हालात तब पैदा होते हैं जब सरकारें जनता से दूरी बना लेती हैं और अर्थव्यवस्था को बिना ठोस आधार के चलाती हैं। भारत को आर्थिक सुधारों और खर्चों में पारदर्शिता रखनी चाहिए।
2. युवा शक्ति को सही दिशा देना
नेपाल का आंदोलन दिखाता है कि युवा आज सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत हैं। भारत को शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार सृजन और डिजिटल स्वतंत्रता पर गंभीरता से काम करना होगा।
3. सूचना का सही प्रबंधन
बांग्लादेश के उदाहरण से यह साफ है कि गलत सूचना किसी भी लोकतंत्र को हिला सकती है। भारत को मीडिया साक्षरता, फ़ैक्ट-चेकिंग और अफवाहों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।
4. पड़ोसी नीति (Neighbourhood First)
दक्षिण एशिया की स्थिरता भारत के लिए जरूरी है। पड़ोसी देशों की अस्थिरता भारत की सुरक्षा, व्यापार, सीमा प्रबंधन और प्रवासन पर सीधा असर डालती है। इसलिए भारत को अपनी कूटनीति को और सक्रिय रखना होगा।
5. लोकतंत्र और जवाबदेही
तीनों देशों के संकट यह दिखाते हैं कि जब सरकारें जनता की आवाज़ दबाती हैं या भ्रष्टाचार में फंसती हैं, तो अस्थिरता पैदा होती है। भारत को अपने लोकतंत्र को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना होगा।
क्षेत्रीय प्रभाव (Regional Impact)
•सुरक्षा: पड़ोसी देशों में अस्थिरता से आतंकवाद, अवैध प्रवासन और सीमा विवाद बढ़ सकते हैं।
•आर्थिक: व्यापार मार्ग और आयात-निर्यात प्रभावित होते हैं।
•सामाजिक: प्रवासन का दबाव भारत के सीमावर्ती राज्यों पर पड़ सकता है।
•कूटनीतिक: चीन और पाकिस्तान जैसी शक्तियाँ अस्थिरता का फायदा उठाकर भारत के हितों को चुनौती दे सकती हैं।
भारत को अपनाने योग्य कदम (Way Forward)
•स्थिर आर्थिक नीतियाँ: जनता पर बोझ डाले बिना विकास।
•युवाओं के लिए विशेष योजनाएँ: स्टार्टअप, रोजगार और डिजिटल नवाचार को बढ़ावा।
•मीडिया सुधार: गलत सूचना और फेक न्यूज़ से बचाव।
•सतत विकास: पर्यावरण, सामाजिक समानता और क्षेत्रीय संतुलन पर ध्यान।
•सक्रिय कूटनीति: पड़ोसियों को सहयोग देकर क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के हालिया संकट सिर्फ उनकी आंतरिक समस्या नहीं हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए चुनौती हैं। भारत को इनसे गहरी सीख लेनी चाहिए कि आर्थिक पारदर्शिता, युवाओं की भागीदारी, मीडिया प्रबंधन और कूटनीतिक सक्रियता ही स्थिरता की कुंजी है।यदि भारत इन बिंदुओं पर सही कदम उठाता है, तो न सिर्फ अपने लोकतंत्र को मजबूत करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में नेतृत्वकारी भूमिका निभा
कर पूरे क्षेत्र को स्थिरता और विकास की ओर ले जाएगा।
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