इज़राइल-गाज़ा युद्ध की कहानी
बहुत समय पहले की बात नहीं है। एक ज़मीन थी – फ़िलिस्तीन। इस ज़मीन पर अलग-अलग लोग रहते थे – यहूदी, मुस्लिम और ईसाई। धीरे-धीरे हालात ऐसे बने कि यहूदी लोगों ने अपना अलग देश इज़राइल बना लिया। लेकिन गाज़ा और वेस्ट बैंक जैसे इलाके फ़िलिस्तीनी लोगों के पास ही रहे। समय के साथ दोनों के बीच यह सवाल बड़ा हो गया कि कौन-सी ज़मीन किसकी है।
![]() |
(Israel and Gaza war image) |
अब कहानी समझिए।
एक गाँव में दो परिवार रहते थे। पहला परिवार मज़बूत था – उसके पास अच्छी हथियार, पैसों की तिजोरी और मजबूत घर था। दूसरा परिवार कमज़ोर था – उसके पास खाने के लिए भी मुश्किल से साधन मिलते थे। लेकिन दोनों परिवार एक ही गली में रहते थे और दोनों को यही गली अपनी माननी थी।
एक दिन छोटे परिवार का एक बच्चा कह बैठा – “ये गली हमारी है, तुमने हमसे छीनी है।” बड़ा परिवार गुस्से में आ गया। दोनों में झगड़ा शुरू हुआ। छोटे परिवार ने पत्थर उठाए, बड़े परिवार ने बंदूकें। जब-जब झगड़ा बढ़ा, बड़े परिवार ने छोटे परिवार के घरों पर बम बरसाए, और छोटा परिवार छिप-छिपकर फिर हमला करता रहा।
यह झगड़ा रुकता नहीं था, क्योंकि एक तरफ़ ताक़त और सुरक्षा की चाह थी, दूसरी तरफ़ घर-बार और अपनी ज़मीन की लड़ाई। दोनों पक्ष खुद को सही मानते थे।
अब गली के आस-पास के लोग (यानी दुनिया के देश) बार-बार बीच-बचाव करने आते – “तुम दोनों मत लड़ो, बात कर लो।” लेकिन कुछ पड़ोसी बड़े परिवार को ज़्यादा ताक़त देते, कुछ छोटे परिवार की मजबूरी समझते। नतीजा यह कि झगड़ा और गहराता गया।
असल में यह लड़ाई सिर्फ़ ज़मीन की नहीं है, बल्कि पहचान, सुरक्षा और अस्तित्व की लड़ाई है। इज़राइल चाहता है कि उसके लोग सुरक्षित रहें और कोई हमला न करे। फ़िलिस्तीनी चाहते हैं कि उनकी ज़मीन और उनका हक उन्हें वापस मिले। लेकिन जब दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े रहते हैं, तो शांति दूर होती जाती है।
कहानी की सीख यही है –
जब तक दोनों परिवार आपस में बैठकर बात नहीं करेंगे, और एक-दूसरे को इंसान मानकर बराबरी से जीने का हक़ नहीं देंगे, तब तक यह गली कभी शांत नहीं होगी। और गली के बच्चे – यानी आम लोग – ही इस झगड़े की सबसे बड़ी क़ीमत चुकाते रहेंगे।
👉 यही इज़राइल-गाज़ा युद्ध की सच्चाई है, जिसे एक गाँव के झगड़े की तरह समझा जा सकता है।
![]() |
(Israel gaza war pratikatmak ) |
गली के मासूम बच्चे और औरतें सबसे ज़्यादा परेशान होने लगे। जब बम गिरता, तो न जाने कितनी जानें जातीं। स्कूल टूटते, अस्पताल उजड़ते और रोज़मर्रा की ज़िंदगी बिखर जाती। दोनों परिवारों के जवान मरते, लेकिन असली तकलीफ़ हमेशा आम इंसानों को झेलनी पड़ती।
यही हाल आज इज़राइल और गाज़ा का है। गाज़ा छोटा और घनी आबादी वाला इलाका है, जहाँ फ़िलिस्तीनी रहते हैं। इज़राइल ताक़तवर देश है, जिसके पास आधुनिक हथियार और मज़बूत सेना है। दोनों के बीच हर कुछ समय पर झगड़ा भड़क उठता है। गाज़ा से रॉकेट दागे जाते हैं, इज़राइल जवाब में बम गिराता है। नतीजा – हज़ारों निर्दोष लोग मारे जाते हैं।
यह कहानी आपको लगी कमेंट करके हमें जरूर बताएं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें