“NCERT का महत्व: कक्षा 6 से 12 तक क्यों ज़रूरी है और प्रतियोगी परीक्षाओं में इसका योगदान”

NCERT का महत्व: कक्षा 6 से 12 तक क्यों ज़रूरी है?

 भारत में शिक्षा व्यवस्था के केंद्र में एनसीईआरटी (NCERT - National Council of Educational Research and Training) की किताबें एक मज़बूत नींव की तरह काम करती हैं। खासकर जब बात प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Banking, State PCS, Railway आदि की तैयारी की आती है, तो इन पुस्तकों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी किताबें न केवल ज्ञान की नींव रखती हैं बल्कि छात्रों के सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता को भी विकसित करती हैं।

1. सरल और सटीक भाषा
एनसीईआरटी की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसकी भाषा बेहद सरल, सहज और स्पष्ट होती है। कक्षा 6 से 12 के छात्र आसानी से इसे समझ सकते हैं। यही कारण है कि कठिन विषय जैसे इतिहास, विज्ञान, भूगोल और राजनीति भी छात्रों के लिए आसान हो जाते हैं।

2. मूलभूत अवधारणाओं की नींव
अक्सर देखा जाता है कि छात्र कठिन सवालों में उलझ जाते हैं क्योंकि उनकी बेसिक समझ (foundation) मज़बूत नहीं होती। एनसीईआरटी की किताबें विषय की जड़ तक समझाने पर ज़ोर देती हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में कक्षा 6 से ही पदार्थ, बल, ऊर्जा जैसे कॉन्सेप्ट्स स्पष्ट किए जाते हैं।
इतिहास और भूगोल में भी घटनाओं और स्थानों को सरल ढंग से समझाया गया है।

3. प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी
लगभग सभी बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलैबस एनसीईआरटी पर आधारित होता है।
UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा में 40–50% सवाल सीधे-सीधे एनसीईआरटी से मिल जाते हैं।
राज्य स्तरीय परीक्षाओं में भी एनसीईआरटी का कंटेंट आधार बनता है।
इसलिए यदि किसी विद्यार्थी ने 6 से 12 तक की किताबें अच्छे से पढ़ लीं, तो आगे की तैयारी आसान हो जाती है।

4. विश्लेषणात्मक सोच का विकास
एनसीईआरटी केवल रटने पर ज़ोर नहीं देती बल्कि बच्चों में तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच विकसित करती है।
गणित की किताबें हल करने का तरीका सिखाती हैं, न कि केवल फार्मूले याद कराती हैं।
सामाजिक विज्ञान की किताबें घटनाओं के कारण और परिणाम समझने पर बल देती हैं।

5. मानक (Standard) अध्ययन सामग्री
भारत में अलग-अलग बोर्ड की अलग-अलग किताबें होती हैं, लेकिन एनसीईआरटी एक मानक (standard) किताब मानी जाती है। यह पूरे देश में एक समान ज्ञान का स्रोत है। UPSC जैसी परीक्षाओं में भी एनसीईआरटी को ही आधार बनाया जाता है ताकि हर विद्यार्थी के लिए अवसर बराबर हों।

6. आसान पुनरावृत्ति (Revision)
एनसीईआरटी की किताबें बहुत लंबी-चौड़ी नहीं होतीं, बल्कि सटीक और सारगर्भित होती हैं। इस कारण छात्र आसानी से बार-बार इनका पुनरावृत्ति कर सकते हैं।

7. चित्र, नक्शे और तालिकाएँ
एनसीईआरटी की किताबों में चित्र, नक्शे और चार्ट इतने अच्छे से बने होते हैं कि छात्र विषय को जल्दी समझ जाते हैं।
भूगोल के नक्शे UPSC में डायरेक्ट पूछे जाते हैं।
विज्ञान के चित्र कॉन्सेप्ट्स को याद रखने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष

कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी किताबें केवल परीक्षा पास करने का साधन नहीं हैं, बल्कि वे एक विद्यार्थी को सुनियोजित, तार्किक और जिज्ञासु नागरिक बनाने में भी मदद करती हैं। यदि कोई छात्र अपने भविष्य की बड़ी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहता है तो उसे सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

याद रखिए – एनसीईआरटी आधार है, और बिना मज़बूत आधार के कोई भी इमारत मज़बूत नहीं हो सकती।



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