इतिहास में कई अजीबोगरीब घटनाएँ दर्ज हैं जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। कभी कहीं बिना वजह हँसी फैल गई तो कहीं लोग अचानक गायब हो गए। ऐसी ही एक घटना है 1518 का डांस प्लेग, जिसे “डांसिंग प्लेग” या “डांस मेनिया” भी कहा जाता है। यह घटना फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुई, जहाँ सैकड़ों लोग बिना रुके नाचते रहे। कई तो नाचते-नाचते गिर पड़े, घायल हुए और यहाँ तक कि मौत का शिकार बन गए। यह घटना आज भी दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में गिनी जाती है।
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| (Dancing people) |
घटना की शुरुआत
जुलाई 1518 की बात है। फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर (तब पवित्र रोमन साम्राज्य का हिस्सा) की एक महिला फ्राउ ट्रोफ़िया अचानक सड़क पर नाचने लगी। शुरू में लोगों को लगा कि वह मज़ाक कर रही है, लेकिन जब वह लगातार कई घंटों तक नाचती रही तो लोग हैरान हो गए।
अगले दिन भी उसने नाचना जारी रखा। धीरे-धीरे कुछ और लोग उससे जुड़ गए और देखते ही देखते 30 से 40 लोग सड़कों पर नाच रहे थे।
नाच का फैलाव
कुछ ही हफ्तों में यह संख्या बढ़कर 400 तक पहुँच गई। शहर की गलियों और चौकों में लोग दिन-रात नाचते रहे।
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कई लोग थककर गिर जाते, फिर भी उठकर नाचना शुरू कर देते।
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कुछ के पैरों से खून बहने लगता, लेकिन वे रुकते नहीं।
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कई लोग तो दिल का दौरा, स्ट्रोक या थकावट के कारण मर गए।
प्रशासन की उलझन
यह नाच अचानक किसी उत्सव की तरह नहीं था, बल्कि एक बेकाबू बीमारी जैसा लग रहा था।
शहर के अधिकारी हैरान थे कि आखिर लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं।-
पहले उन्होंने सोचा कि संगीत बजाकर उन्हें नाचने में राहत मिलेगी।
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इसके लिए बाकायदा म्यूज़िशियन और ड्रमर बुलाए गए ताकि लोग अपनी “ऊर्जा निकालकर” ठीक हो जाएँ।
लेकिन उल्टा हुआ – संगीत ने इस “नाच की महामारी” को और तेज़ कर दिया।संभावित कारण
इतिहासकार और वैज्ञानिक आज तक इस रहस्यमयी घटना के कारण पर एकमत नहीं हैं। कुछ प्रमुख थ्योरी इस प्रकार हैं:
1. अर्गॉट ज़हर (Ergot Poisoning)
राई (Rye) नामक अनाज पर उगने वाली एक फंगस में LSD जैसी रसायन होते हैं।
अगर लोग उस समय दूषित अनाज खा रहे थे, तो यह उन्हें मतिभ्रम (Hallucination) और अजीब हरकतों की ओर ले जा सकता था।2. धार्मिक उन्माद (Religious Mania)
मध्यकालीन यूरोप में लोग मानते थे कि यह संत विटस (Saint Vitus) का श्राप है।
इसलिए लोग नाचते रहे, सोचकर कि ऐसा करने से श्राप खत्म हो जाएगा।3. मास हिस्टीरिया (Mass Hysteria)
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह “सामूहिक मानसिक विकार” था।
1518 में स्ट्रासबर्ग अकाल, बीमारियों और गरीबी से जूझ रहा था।
तनाव और डर के कारण लोग सामूहिक रूप से नाचने की मानसिक स्थिति में आ गए।घटना का अंत
लगभग दो महीने तक यह नाच चलता रहा।
जब मौतें बढ़ने लगीं तो प्रशासन ने लोगों को चर्च में भेजा और धार्मिक अनुष्ठान कराए।
धीरे-धीरे यह महामारी कम हो गई और लोग सामान्य जीवन में लौट आए।
इतिहास में महत्व
1518 का डांस प्लेग इतिहास की सबसे रहस्यमयी घटनाओं में से एक है।
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यह दिखाता है कि मानव मन और समाज कितना संवेदनशील और कमजोर हो सकता है।
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तनाव और आस्था कभी-कभी लोगों को ऐसी हरकतों की ओर धकेल सकते हैं, जिन पर विश्वास करना भी मुश्किल हो।
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यह घटना हमें यह भी बताती है कि “मानसिक स्वास्थ्य” और “सामाजिक परिस्थितियाँ” इंसान के व्यवहार को गहराई से प्रभावित करती हैं।
आज की दुनिया में सबक
अगर हम 21वीं सदी के नज़रिए से देखें, तो डांस प्लेग हमें तीन अहम सबक देता है:
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सामूहिक तनाव खतरनाक हो सकता है।
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वैज्ञानिक कारणों को समझना ज़रूरी है।
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मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य पर।
निष्कर्ष
1518 का डांस प्लेग कोई साधारण घटना नहीं थी। यह इतिहास का वह पन्ना है जहाँ इंसान की हँसी-खुशी का प्रतीक “नृत्य” अचानक मौत और रहस्य का कारण बन गया।
आज भी वैज्ञानिक और इतिहासकार इसे पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि मानव मन और समाज कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ बना सकता है, जो किसी भी महामारी से कम खतरनाक नहीं होतीं। -
समाप्त •
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