दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (अमेरिका के बाद) बनने तक का चीन का सफर बेहद रोचक और सीख देने वाला है। आज चीन न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ बन चुका है। कभी गरीबी, अकाल और पिछड़ेपन से जूझने वाला यह देश अब विश्व की मैन्युफैक्चरिंग हब, टेक्नोलॉजी पावरहाउस और निर्यात (Exports) का सबसे बड़ा केंद्र है। आइए विस्तार से समझते हैं कि चीन ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की
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Chinta |
1. 1949 से पहले का चीन: संघर्ष और गरीबी
1949 से पहले चीन की स्थिति बेहद खराब थी।
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देश लंबे समय तक औपनिवेशिक शोषण और आंतरिक युद्धों का शिकार रहा।
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किसान भूखे मर रहे थे और औद्योगिक उत्पादन लगभग नगण्य था।
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उस समय चीन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित थी।
1949 में माओ त्से तुंग (Mao Zedong) के नेतृत्व में कम्युनिस्ट क्रांति हुई और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई।
2. माओ काल (1949–1976): केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था
माओ ने सोवियत मॉडल अपनाया:
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भारी उद्योगों पर जोर दिया गया।
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खेती में सामूहिकीकरण (Collectivisation) किया गया।
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“ग्रेट लीप फॉरवर्ड” और “सांस्कृतिक क्रांति” जैसे प्रयोग हुए, लेकिन इनसे लाखों लोगों की मौत और भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
हालांकि इस दौर में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत हुई, लेकिन अर्थव्यवस्था में ठहराव बना रहा।
3. 1978 का मोड़: देंग शियाओपिंग की सुधार नीतियाँ
वास्तविक बदलाव 1978 में आया जब देंग शियाओपिंग सत्ता में आए। उन्होंने कहा –
"बिल्ली काली हो या सफेद, अगर वह चूहा पकड़ती है तो अच्छी है।"
इसका मतलब था कि विचारधारा से ज्यादा व्यावहारिकता जरूरी है।
उन्होंने जो कदम उठाए:
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बाज़ार आधारित सुधार (Market Reforms)
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कृषि में “हाउसहोल्ड रिस्पॉन्सिबिलिटी सिस्टम” – किसानों को उत्पादन और बिक्री की स्वतंत्रता
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विदेशी निवेश के लिए स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZs) बनाए
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निजी उद्यमों और व्यापार को बढ़ावा दिया
यही से चीन की अर्थव्यवस्था ने उड़ान भरनी शुरू की।
4. मैन्युफैक्चरिंग हब बनना
चीन ने खुद को “दुनिया की फैक्ट्री” बना दिया।
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सस्ता श्रम बल (Cheap Labour)
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मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर – सड़कें, बंदरगाह, बिजली
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बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश
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उत्पादन लागत कम रखने के लिए सरकारी सब्सिडी
आज इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कपड़े, खिलौनों से लेकर स्टील और मोबाइल तक – हर जगह “Made in China” छपा मिलता है।
5. निर्यात (Exports) पर फोकस
चीन की रणनीति रही:
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ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करो
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सस्ते दाम पर विदेशों में बेचो
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डॉलर और विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाओ
इससे चीन ने दुनिया भर के बाजारों पर कब्जा कर लिया।
6. तकनीक और नवाचार (Technology & Innovation)
शुरुआत में चीन ने तकनीक की कॉपी की, लेकिन धीरे-धीरे इनोवेशन भी शुरू किया।
Huawei, Alibaba, Tencent, Xiaomi जैसी कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर उभरीं।
5G, AI (Artificial Intelligence), रोबोटिक्स और ग्रीन एनर्जी में चीन अग्रणी बन रहा है।
अंतरिक्ष कार्यक्रम (Space Program) में भी चीन अमेरिका और रूस को टक्कर दे रहा है।
7. इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश
चीन ने आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए तेज रफ्तार रेलवे, हाईवे, स्मार्ट सिटी और बड़े-बड़े डैम बनाए।
चीन का हाई-स्पीड रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा है।
बड़े पैमाने पर शहरीकरण (Urbanisation) हुआ।
8. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)
2013 में चीन ने यह पहल शुरू की ताकि एशिया, अफ्रीका और यूरोप में अपने आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ा सके।
इसमें सड़कें, रेलमार्ग, बंदरगाह और ऊर्जा प्रोजेक्ट शामिल हैं।
इससे चीन अपने उत्पादों के लिए और बड़े बाजार बना रहा है।
9. जनसंख्या का लाभ (Demographic Dividend)
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी कार्यबल (Workforce) रही।
करोड़ों लोगों ने गांवों से शहरों में आकर उद्योगों में काम किया।
सरकार ने शिक्षा और स्किल ट्रेनिंग पर जोर दिया।
सस्ती और कुशल श्रमिक शक्ति ने विदेशी कंपनियों को आकर्षित किया।
10. चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
चीन की तरक्की के बावजूद कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु संकट
बुजुर्ग होती आबादी (One Child Policy का दुष्प्रभाव)
मानवाधिकार और सेंसरशिप की आलोचना
अमेरिका और पश्चिमी देशों से व्यापार युद्ध (Trade War)
11. आज का चीन
2055 तक चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका को पछाड़ सकती है (कुछ विशेषज्ञों के अनुसार)।
उसका GDP 18 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है।
चीन वैश्विक सप्लाई चेन का दिल बन चुका है।
निष्कर्ष
चीन की आर्थिक सफलता कोई चमत्कार नहीं बल्कि लंबे समय तक की योजनाओं, कड़े अनुशासन, उत्पादन-निर्यात रणनीति, तकनीक और विशाल श्रमशक्ति का नतीजा है।
जहाँ माओ ने नींव रखी, वहीं देंग शियाओपिंग ने सुधारों से उसे गति दी और वर्तमान नेतृत्व ने तकनीक और वैश्विक प्रभाव से उसे नई ऊँचाई दी।
चीन की कहानी हमें यह सिखाती है कि सही नीतियों, दूरदर्शिता और कठिन परिश्रम से कोई भी देश गरीबी से निकलकर विश्व शक्ति बन सकता है।
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