"Comparison Syndrome: दूसरों से तुलना करना क्यों आपकी खुशी छीन लेता है?"
किसी की नई बाइक देखकर लगता है हमारी पुरानी cycle बेकार है, किसी की नौकरी देखकर अपनी मेहनत अधूरी लगती है, किसी का शादी का फोटो देखकर लगता है हमारी लाइफ़ normal है।
"आज इंसान की सबसे बड़ी समस्या गरीबी नहीं है, न ही बेरोज़गारी… बल्कि सबसे बड़ी बीमारी है – दूसरों से तुलना करना।"
लेकिन क्या सच में हम दूसरों से तुलना करके खुश हो सकते हैं? जवाब है – *नहीं।*
सोशल मीडिया का झूठा आईना
Instagram, Facebook या WhatsApp Status पर दिखने वाली लाइफ़ *100% सच नहीं होती।*
* जो लड़का महंगी कार चला रहा है, उसके ऊपर EMI का बोझ हो सकता है।
* जो लड़की विदेश घूम रही है, उसने शायद loan लिया हो
* जो दोस्त हमेशा हंसता है, वो अकेले में रोता भी होगा।
लेकिन हम सिर्फ "highlights" देखते हैं और अपनी "reality" से compare करते हैं। यही गलती है।
🧠 Comparison का दुष्प्रभाव
* Confidence गिरता है
* Stress बढ़ता है
* अपनी मेहनत छोटी लगने लगती है
* और सबसे खतरनाक: *खुशी गायब हो जाती है*
💡 Comparison से बचने के 5 तरीके
1. अपने target fix करो – दूसरों से नहीं, कल के अपने से compare करो।
2.Social media पर limited time दो।
3. Daily gratitude लिखो – जो है उसके लिए शुक्रिया करो।
4. खुद को invest करो – किताबें पढ़ो, skill सीखो।
5. याद रखो: किसी की timeline तुम्हारी deadline नहीं है।
🌟 असली जीत क्या है?
असली जीत तब है जब तुम रात को चैन से सो सको, सुबह motivation से उठ सको और अपनी लाइफ़ से खुश रह सको।
Comparison से निकलिए, और competition सिर्फ अपने आप से कीजिए।
🔥 निष्कर्ष
👉 "तुलना" इंसान को कभी जीतने नहीं देती।
👉 "कृतज्ञता" इंसान को हमेशा जीताती है।
आज से तय करो – दूसरों से नहीं, सिर्फ कल के अपने आप से मुकाबला करना है।
यकीन मानो, यही सोच तुम्हें लाइफ़ में सफल और खुश दोनों बनाएगी।
💬 अब आप बताइए –
क्या आपको भी कभी comparison ने परेशान किया है?
Comment में अपनी राय ज़रूर लिखें।
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